Guru Govind Singh Ke Kavy Mein Rashtriya Asmita INR 240.00
Book summary
हिन्दी साहित्य के रीतिकाल में अधिकांश हिन्दी-भाषी प्रदेश नारी-वासना की मनोवृति से ग्रस्त थे और भक्तिकालीन आध्यात्मिक चेतना शिथिल हो चुकी थी, उस समय गुरु गोविन्द सिंह जी ने पराभव-काल के इस यथार्थ को अपनी समस्त रचनाओं के संग्रह 'दशम-ग्रंथ' के माध्यम से अभिव्यक्त किया। जब समूचा भारत मुगल साम्राज्य की क्रूर मानसिकता के वृत में घिरकर पतन के कगार पर पहुँच गया था ऐसे समय में भारत की सांस्कृतिक चेतना को गुरु जी ने अपनी वाणी द्वारा अद्भुत तेजस्विता से भर दिया। गुरु जी ने अपनी कलम की शक्ति के साथ खड्ग की तेजस्विता को भी प्रदर्शित किया।