Mannu Bhandari Ke Katha-Sahitya Mein Samajik-Chetana INR 280.00
Book summary
अब तक कोई ऐसी पुस्तक नहीं लिखी गई जिसमें मन्नूजी की सामाजिक चेतना पर विस्तार से विचार किया गया हो। जो भी साम्रगी उपलब्ध् है, उसमें इस विषय का विवेचन अत्यंत संक्षिप्त और सतही है। मन्नूजी के संपूर्ण कथा-साहित्य के आधर पर उनकी सामाजिक चेतना पर लगभग नहीं-के-बराबर ही काम हुआ है। किसी लेखक के व्यापक जीवन-दर्शन का इस प्रकार परिसीमन करना उसके प्रति अन्याय करना है। मन्नूजी ने अपने एक पत्रा में स्पष्ट किया हैः फ्इन सभी कहानियों का विश्लेषण करोगे तो उनका लक्ष्य समाज की किसी न किसी समस्या का चित्राण करना ही निकलेगा।य्