Samakalin Hindi Kahani INR 260.00
Book summary
आम आदमी आज के समाज का सबसे बड़ा हिस्सा है लेकिन सर्वमुखी हिंसा का शिकार भी वही है। सर्वग्रासी राजनीति ने इसे ग्रास लिया है, लेकिन इस राजनीति को बदलने की शक्ति भी इसी के हाथ में है। समकालीन कहानी का प्रयास है कि वह इसे पहचाने। चुनाव के समय राजनीति अवाम को केंद्र में रखती है और चुनाव के बाद इसे हाशिये पर धकेल देती है। इन विसंगतियों का शिकार समकालीन आम आदमी ही नहीं स्वयं समकालीन कहानीकार भी हैं। समकालीन कहानी, आम आदमी की कहानी उसी की जुबानी है। ऐसे आम आदमी, इसकी कहानी और इसके कहानीकार की पड़ताल मीनक्षी ने अत्यंत संवेदनात्मक सूक्ष्मता से की है।