Shahar Par Lagi Ankhen (Upanyas) INR 236.00
Book summary
शहर पर लगी आंखें' घटना प्रधान उपन्यास न होकर भाव-प्रधान उपन्यास है । पूरा उपन्यास तर्क-वितर्क, चर्चा-परिचर्चा, बहस और विचार प्रधान टिप्पणियों से उस काल बोध को पारदर्शी बनाता है, जिसके प्रभाव पंजाब से लेकर अमेरिका तक, जालंधर से लेकर कन्याकुमारी तक कदम दर कदम हमारे जीवन को प्रभावित कर रहे हैं । अज्ञेय की इस बात से मैं सहमत हूँ कि अच्छा उपन्यास एक ही समय में विचार भी होता है, दर्शन भी और अपने समय का सच भी । डॉ॰ अजयशमां की यह कृति ऐसी ही है । - डॉ॰ हरमहेन्द्र सिंह बेदी (अध्यक्ष हिन्दी विभाग जी॰एन॰डी॰यू॰ अमृतसर)