Eshti Cornell (Jivan Sansmaran) INR 396.00
Book summary
कभी कभी उसकी इच्छा होती कि वह यहाँ से भाग निकले। अब तक वह इस ऑलफ़ल्द के घोसलें से, जहाँ न कोई नदी थी, न पहाड़, न सड़क थी, जहाँ सब लोग एक से ही दिखते थे, जहाँ दिन और वर्ष बहुत मामूली सा बदलाव ही लाते थे, जहाँ की दोपहरें लम्बी और ऊबाऊ एवम् शामें अन्धेरी होती थी, भागने में समर्थ नहीं हुआ था। उसका दिमाग़ अब बढ़ चुका था, ज्ञान-चक्षु खुल चुके थे... वह दुनिया देखना चाहता था। सबसे पहले तो समुद्र देखना चाहता था। प्राथमिक कक्षाओं से इसी के सपने देखता था, जब अपनी नज़र नक्शे पर उस विशाल नीले रंग के शूल्य पर घुमाता। और इसीलिए उसने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि अब चाहे कुछ भी हो वह इटली जाएगा, अकेला।