Hindi Ki Sahityik Patrakarita INR 240.00
Book summary
प्रस्तुत पुस्तक में स्वाधीनता के पश्चात् हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता का उपलब्ध पत्र-पत्रिकाओं के आधार पर विश्लेषण करने का प्रयास किया गया है। पत्र-पत्रिकाओं का संरक्षण करने का प्रयास आज तक नहीं किया गया। जिसके परिणामस्वरुप हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता का इतिहास लेखन अभी तक अपूर्ण रहा है। लेखक ने यथासंभव प्रकाशित पत्र-पत्रिकाओं को संकलित करने का प्रयास करके उनके आधार पर हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता के इतिहास-लेखन के क्षेत्र में अपूर्णता लिये हुए परंतु फिर भी उपलब्ध साक्ष्यों तथा प्रमाणों के आधार पर हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता का इतिहास लिखने का विनम्र प्रयास किया है। इसके साथ ही लेखक ने पत्रकारिता के विभिन्न पक्षों तथा तत्त्वों का भी स्टडीस-विश्लेषण इस पुस्तक में करने का प्रयास किया ह