Suraj Ka Athavan Ghoda INR 112.00
Book summary
राजनीतिज्ञों की भीड़ में आम आदमी के अदृश्य होते हुए चेहरे और जीवन में व्याप्त जड़ता, संवेदनहीनता आज चिन्ता का विषय बन गए हैं। इस पुस्तक में व्यंग्यात्मक लेखों के माध्यम से समकालीन राजनीतिज्ञों में व्याप्त मूल्यों की गिरावट,चारित्रिक पतन और भ्रष्टाचार पर जोरदार प्रहार किया हैं। पुस्तक अपने आप में समकालीन से, अनेक, प्रश्नों, मुद्दों और जीवन में व्याप्त विसंगतियों से एक अंतरंग संवाद है।