Hanso Mat Ham Police Hain INR 120.00
Book summary
हंसना या हंसी प्रभु का वरदान हैं। हास्य रस को चाहे आम आदमी न समझता हो, पर हंसी या हंसना सब जानते हैं। पुलिस वालों के पास हंसने का समय ही कहां होता है। वे तो पूरे साल, चौबीसों धंटे चोरों, डाकुओं, उग्रवादियों, जलसे-जुलूसों और बड़े लोगों की सुरक्षा से जूझने में लगे रहते है। इससे भी कोई शक नहीं कि इन्हीं लोगों को अपने इस उत्तेजनापूर्ण वातावरण में कभी-कभी मुस्कुराना व हंसना भी जरूरी हैं, पुस्तक में लेखक ने पुलिस के काम में हंसी की लहर ढूंढने की कोशिश की हैं।