Dehari Ke Par Ka Shilp Vidhan INR 200.00
Book summary
देहरी के पार का रूपांक बहुत लचीला है। आत्मकथा, उपन्यास के साथ ललित निबन्ध और रिपोर्ताज के तत्व भी इसमें समाहित हैं, घटनाएँ या स्थितियाँ नाम की है, अधिकतर सोच के स्तर पर घटित हुआ है। मन का आवेग सम्पूर्ण उपन्यास में तेजी से बह निकलता है और लेखक ने उस आवेग को सही अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया है। 'देहरी के पार' में नई-नई शिल्प विधियों को विनियोग कर एक नए दृष्टिकोण को स्पष्ट किया है। लेखक का शिल्प चातुर्य ही एक नए रूप में उभरा है।